STORYMIRROR

Kunwar Singh

Abstract

2  

Kunwar Singh

Abstract

अधूरा

अधूरा

1 min
56

रात भी अधूरी है

दिन भी अधूरा है

फूल भी अधूरा है

काटें भी अधूरे है

पत्ता भी अधूरा है

नदी भी अधूरी है

पानी भी अधूरा है

बादल भी अधूरा है

बारिश भी अधूरी है

हवा भी अधूरा है

तूफ़ान भी अधूरा है

शांत भी अधूरा है

गुस्सा भी अधूरा है

शोर भी अधूरा है

कागज भी अधूरा है

कलम भी अधूरा है

शब्द भी अधूरा है

प्यार भी अधूरा है 

नफ़रत भी अधूरा है

आँसू भी अधूरा है

मुस्कान भी अधूरा है

तुम भी अधूरे हो

मैं भी अधूरा हूँ

अकेले में सब कुछ अधूरा ही तो है!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract