अधूरा प्यार तुम्हारे बिना
अधूरा प्यार तुम्हारे बिना
हमारा ही नशेमन था जलाने को ।
हमारा ही कलेजा था दुखाने को ।।
हमीं से सीख के शोखी अजी देखो ।
हमारे सामने आये दिखाने को ।।
दिये थे फूल हाथों में हसीं तेरे ।
उसी हाथों मिला खंजर चुभाने को ।।
दुआ में रोज माँगी थी खुशी तेरी ।
मिले ले किन हमीं तुमको रुलाने को ।।
भुलाया था सभी को ही तिरी लौ में ।
हमी को आज कहते हो भुलाने को ।।
वफा का खूब पाया है सिला हमने ।
चले हो आज तुम खुद ही मिटाने को ।।
चले हो यूँ कहाँ देखो यहाँ मुड़ के ।
नहीं यूँ छोडता कोई जमाने को ।।
रहेंगे हम कहाँ बोलो बिना तेरे ।
जरा दो बोल बोले जा दिवाने को ।।