अदभुत कुदरत
अदभुत कुदरत
कुदरत की महिमा को देखा है
कुदरत की लीला को जाना है ll
कुदरत का खेल भी देखा है
कुदरत का क़हर भी झेला है ll
कुदरत ने जीना सिखाया है
सर्व सम्पन्न भी बनाया है ll
न अभिमान कर सिखाया है
न कर अपमान मेरा बताया है ll
जीवन को अनमोल बनाया है
सब सम्भव कर दिखाया है ll
कुदरत करिश्मों का ठेला है
सुख दुःख का मेला है ll
कुदरत का अदभुत मंजर भी है
आक्रोश में किया बंजर भी है ll
कुदरत का अनमोल चीजों का ख़ज़ाना है
इसे हमें नहीं गँवाना है ll
मत कर ख़राब कुदरत का शबाब
नहीं तो मिलेगा दुखों का सैलाब ll
कर ले कुदरत से मिलाप
नहीं तो करेगा सिर्फ़ पश्चाताप ll
कुदरत तेरी महिमा अपरम्पार
करूँ प्रणाम तुझे मैं बारम्बार।