मिली साहा

Abstract Drama

4.0  

मिली साहा

Abstract Drama

अच्छाई और बुराई का साक्षात्कार

अच्छाई और बुराई का साक्षात्कार

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अच्छाई और बुराई का आज है साक्षात्कार,

तो चलिए जानते हैं दोनों के कैसे हैं विचार।

रिपोर्टर: अच्छाई कैसे होती है तुम्हारी पहचान?

अच्छाई: मैं दिखती हूं विचारों और व्यवहारों में,

अच्छे कर्म, और अच्छे इरादों में,

इनसे होती है मेरी पहचान, 

यही गुण बढ़ाते हैं मेरी शान।


रिपोर्टर: कितने सुंदर गुणों से परिपूर्ण तुम हो

फिर क्यों सबकी नजरों से गुम हो?

अच्छाई: मेरी सादगी का चोला पहनकर,

बुराई सब जगह आडंबर करती है।

अच्छाई का दिखावा करके,

बुराई मुझे दफन कर देती है।

लोभ, पाप, अहंकार से ग्रसित है समाज,

तो मैं कैसे किसी को दिखाई दे सकती हूं।

धर्म दिखता नहीं, विचारों में ना शुद्धता है,

तो मैं कैसे किसी को समझ आ सकती हूं।


रिपोर्टर: बुराई बैठा सब जगह डेरा जमाए,

ऐसे में तुम्हारा वजूद कैसे बच पाए?

अच्छाई: मेरा वजूद एक चट्टान के समान है,

जो कभी खत्म नहीं हो सकता है।

बुराई की उम्र बड़ी हो सकती है,

पर उसका अंत बहुत बुरा होता है।

मैं कुछ समय के लिए दफन हो सकती हूं

किंतु जब बुराई का वर्चस्व बढ़ जाता है

तो मैं उसका अंत करने जरूर आती हूं


रिपोर्टर: बुराई तुम कैसे अच्छाई पर हावी हो जाती हो?

बुराई: लोग सादगी से ज्यादा आडंबर पसंद करते हैं,

लोभ, मोह, पाप और अहंकार में लिप्त रहते हैं।

कलयुग है ये लोग कागज का रावण जलाते हैं,

और मेरे कारण असली रावण नहीं देख पाते हैं।

मेरी पट्टी सर्वत्र सबकी आंखों में बंधी है,

इसलिए किसी को अच्छाई नहीं दिख रही है।


रिपोर्टर: बुराई तुम्हारा वर्चस्व कितना बढ़ गया है,

यह सब देखकर तुम्हें कैसा लग रहा है?

बुराई: बहुत खुश हूं कि मैं मेरा वर्चस्व बढ़ गया है,

छोटी-छोटी बातों पर लोगों का क्रोध बढ़ गया है।

विचारों में शुद्धता और अधर्म मुझे और बढ़ा रहे हैं,

अच्छाई को मैं एक दिन पूरी तरह खत्म कर दूंगी,

यों कि आज सब उसे छोड़ मेरी शरण ले रहे हैं।


रिपोर्टर: बुराई क्या लगता है, तुम्हें

तुम्हारा अंत हो पाएगा?

बुराई; जिस कदर में हावी हो चुकी हूं लोगों पर,

मुझे नहीं लगता कोई आंच जाएगी मेरे वजूद पर।

श्रीराम और कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था,

द्वापर युग और श्वेता युग में मेरा अंत किया था।

परंतु यह कलयुग है यहां अंत ना मेरा हो पाएगा,

करूंगी इंतजार देखते हैं कौन अवतारी आएगा तब

तक तो मेरा ही राज यहां चलता रहेगा।

       

   


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