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Bhavna Thaker

Abstract

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Bhavna Thaker

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अच्छा लगता है

अच्छा लगता है

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आहिस्ता आहिस्ता सरकती रात में

तेरे सपने देखना अच्छा लगता है 


धुआँ धुआँ से खयालातों में से 

एक तुम्हारे खयाल का गौहर

चुनना अच्छा लगता है 


हर करवट पर उस चुम्बन की

मोहर को छूना बड़ा अच्छा लगता है 


चाँद की नशीली रात में

फ़ड़फ़ड़ाते नाजुक

तन को तुम्हारी आगोश में

डूबना अच्छा लगता है


ऊँगलियों को तुम्हारे

बालों से उलझ कर

इतराते तुम्हारे गालों को

चुमना बड़ा अच्छा लगता है 

 

खुले लब पर गीली जीभ से तुम्हारा

नाम लिखना अच्छा लगता है

 

शब भर सहला कर तुम्हारी यादों को

दिल के पहले पायदान पर

सुलाना अच्छा लगता है।

 

उस रात का कहर सखियों को

सुनाकर शर्माना बड़ा ही

अच्छा लगता है। 


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