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Rajesh kumar sharma purohit

Tragedy

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Rajesh kumar sharma purohit

Tragedy

अबॉर्शन

अबॉर्शन

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गर्भ में बेटियों को न मारो,

यह पाप है जरा समझो,

उसका क्या कसूर है,

जो तुम उसे मार रहे हो?

नाली में फेंक रहे,

कचरे के ढेर में फेंक रहे,

कन्या को जगत में आने दो,

बेटियों को स्वच्छन्द उड़ने दो,

ये आंगन की तितलियां हैं

किलकारी से आँगन गूंजने दो,

ये बेटियाँ ही नाम रोशन करेगीं

बेटों की तरह सेवा करेगीं,

पढ़ लिखकर आगे बढ़ेगीं,

एक बेटी बढ़ेगी भैया

सात पीढ़ी तरेगी,

बेटियों को धरा पर आने दो।

मत कराओ अबॉर्शन

बेटी का मन से स्वागत को।

अहो भाग्य जो कन्या जन्म हुआ,

ये कहकर मिठाइयाँ बांटो,

यूँ बेटे बेटियों को न बाँटो ।







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