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Rajesh kumar sharma purohit

Inspirational

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Rajesh kumar sharma purohit

Inspirational

दोहे

दोहे

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धुंध गजब की छा गई, मौसम बदला आज।

दिवस लगे अब रात सम,गिरती मन पर गाज।।


पनघट सूखे हो गए,सखी न चलती साथ।

गगरी घर दिखती नहीं,खाली लगते हाथ।।


टटका भोजन खाइए,प्रतिदिन ही श्रीमान।

रखे निरोगी वो तुम्हें,मेरा कहना मान।।


गुल्लक आता काम में,समझो मेरे लाल।

ये ही कर देगा तुम्हें,समझो मालामाल।।


मोहन मटकी फोड़ता,लेकर हाथ गुलेल।

रोज रोज ही खेलता, अजब निराले खेल। 


बच्चे दौड़े आ रहे, हो रहे अब अधीर।

दे दो दादी अब हमें,मीठी सी रसखीर।।


लाड़ लड़ाती मात है,देखो कैसे रोज।

गलती पर वो डांटती, करती रहती खोज।।



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