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Rajesh kumar sharma purohit

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Rajesh kumar sharma purohit

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फटी जेब

फटी जेब

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बापू की फटी जेब से

जब रुपये गिरते हैं

माँ के आँसू बहते हैं

बच्चों के चेहरे खिलते हैं


दिनभर की मेहनत से

सिर से टपके स्वेद बूंद

सांसे भी फूलने लगी

बापू के रोग बढ़े हैं


दमा की बीमारी में

काम कम होता है

इसलिए रात में

चूल्हा कम जलता है


दो जून कि रोटी का

बापू जुगाड़ करते हैं

पापी पेट के नाम पर

हाड़ तोड़ मेहनत करते हैं


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