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Rajesh kumar sharma purohit

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Rajesh kumar sharma purohit

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बरगद की छांव

बरगद की छांव

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पंचायत के फैसले होते थे

बरगद की छाँव में भैय्या

चौपालों पर बैठकर हम

फैसले सारे सुनते आये हैं।


न कोई चालबाज़ी चलती

न कोई चापलूसी चलती

पंच पटेल ही न्याय देवता

वही ग्राम अदालत हमारी।


जमीन की लड़ाई हो या

सामाजिक बुराइयों की

छोटी - बड़ी सारी बातें

बातों से ही हल हो जातीं।


गवाह बनता बूढा बरगद

कई सच्चे झूंठे फैसलों का

सक्षम बलवान न्याय करते

गरीबों का शोषण करते थे।


खेलकूद तीज त्योहार सारे

बरगद के नीचे ही होते

गाँव का सामूहिक भोज

बरगद के नीचे ही चखते।








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