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swati sourabh

Inspirational Others

4.0  

swati sourabh

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अब तुम्हारी बारी है

अब तुम्हारी बारी है

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इज़्ज़त दो केवल उसी को, जो इज़्ज़त के काबिल है,

बता दो उनको उनका दायरा, जो रिश्तों का कातिल है।


झुका दो उन नज़रों को, जो घूरते तेरी ओर हैं,

जगह दिखा दो उन्हें उनकी, जो समझते तुझे कमजोर हैं।


मसल दो अपनी जुती से, जिनकी सोच इतनी नीच है,

जो भेड़िए की खाल ओढ़े, दिखता महान सबके बीच है।


समाज उसी पर हँसता है, जो इंसान कमजोर उसे लगता है,

दौलतमंद और दबंगों का तो, चाटुकार बना ये फिरता है।


डर है तुझे किस बात का,उम्मीद है किसके साथ का,

अरे जिस इंसान की मर्यादा ही मर चुकी,

अब वो सजा भुगतेगा अपने जघन्य पाप का।


अपने अधिकार व अस्तित्व के रक्षा की बारी है,

बन्दिशों को तोड़कर,अब उड़ने की बारी है।

सहनशक्ति को छोड़कर तलवार उठाने की बारी है,

अब अपने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाने की बारी है।


उठो बेटी बहुत सह लिया, अब जवाब देने की बारी है,

मत भूल सामने खड़े दरिंदे को भी, जन्म देने वाली एक नारी है।


    



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