गुरु वंदना
गुरु वंदना
हम हैं कोरे कागज़ - से, आप कलमकार हो गुरुवर।
हम तो लिखते गीत हैं, आप सजाते सुर- ताल हो गुरुवर।।
हम तो हैं नौसिखिये परिदें, लड़खड़ाते बार- बार हैं गुरुवर।
आप तो हमें उड़ना सिखाते, बनाते हमें बाज हो गुरुवर।।
हम जमीं पर गिरे बीज- से, सींचते हमें तो आप हो गुरुवर।
हम तो हैं नव कोपल- से, तरुवर बनाते आप हो गुरुवर।।
हम तो बिखरे मोती- से, चुन -चुन कर लाते आप हो गुरुवर।
पिरोकर हमारे सपनों को, माला बनाते आप हो गुरुवर।।
हम तो हैं छोटी- सी कश्ती, तूफ़ानों से घबरा जाते हैं ।
आप तो हो कश्ती के मांझी, तूफ़ा से लड़ना सिखाते गुरुवर।।
हम तो हैं मासूम कली- सी, जिसे तोड़ सके हर कोई गुरुवर।
आप तो हो माली बगिया के, हमें टूटने से बचाते गुरुवर।।
हम तो हैं उड़ते पतंग -से, गगन चूमना चाहते गुरुवर।
आप थामे हो मांझा डोर, गगन की सैर कराते गुरुवर।।
आप जलाते ज्ञान का दीप, ज्ञान का प्रकाश फैलाते गुरुवर।
अच्छाई का मार्ग दिखाते, दुनिया बदलने की आवाज़ हो गुरुवर।।
करते हम आपका वंदन, आपके चरणों का धूल भी चंदन ।
आप हो परम् पूज्य परमेश्वर, हम नमन में शीश नवाते गुरुवर।।