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Ekta Purohit

Tragedy

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Ekta Purohit

Tragedy

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ

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आज जिंदगी में सब कुछ खो चुकी हूँ। 

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ। 


एक शख्स जिसे कहते है माँ सभी, 

अब हमेशा के लिए उसको खो चुकी हूँ। 

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ। 


कितने सपने उसके आंखों में थे मेरी,

अब उन सपनों की उस वजह को ही खो चुकी हूँ। 

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ। 


बहुत गलतियाँ की थी मैंने शायद,

तभी तो माँ तेरी गुनाहगार हो चुकी हूँ। 

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ। 


तुम जितना करती थी माँ

मैं बदले में कुछ नहीं कर सकी हूँ, 

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ। 


काश ले जाती मुझे भी साथ तेरे ,

अब तेरे बगैर मैं बेघर हो चुकी हूँ 

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ। 


क्यू चली गई इस कदर मुझे छोड़ के, 

तेरे लिए शायद मैं बहुत बुरी हो चुकी हूँ ।

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ। 


ना जीने की वजह ना जीने का मन, 

अब तो माँ, मैं खुद से ही अनजान हो चुकी हूँ। 

खोया है जो मैंने तुझे ऐ मेरी मां ,

मैं खुद पर ही एक बोझ हो चुकी हूँ। 

अब तो एक जिंदा लाश हो चुकी हूँ ।



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