क्या लिखूं इस देश पे
क्या लिखूं इस देश पे
क्या लिखूं इस देश पे, ये तो सदियों से महान रहा,
मर मिटें इसकी शान पे, यही वीरों का पैगाम रहा।
लाखों महान माताओं ने, शौर्यवानों को जन्म दिया,
पुरूष तो पुरूष, कितनी ही वीरांगनाओं ने भी,
देश के लिए बलिदान दिया।
ये देश नहीं था मामूली, इसने ही शून्य का ज्ञान दिया,
इसी देश ने बढ़ चढ़ कर, तारों को भी लाँघ दिया ,
ये देश रहा खुशहाल सफल,
दुनिया में सोने की चिड़िया का नाम लिया।
परन्तु वही कुछ बुरी दृष्टियों ने, इसको धीरे-धीरे कंगाल किया,
लूट ले गए इस भारत को, इसको अपना गुलाम किया,
इस देश की भोली-भाली जनता को, पल-भर मे बेहाल किया।
लाखों सितम सहकर भी, धैर्य का ना त्याग किया,
सब ने मिलकर एक साथ, विद्रोह का शंख बजा ही दिया,
बाजुओं में दम और हौसला था संग,
खून बहाते ऐसे, जैसे होली मे बहे रंग।
इतनी कुर्बानी देकर भी, जब जीत ना सके जंग,
अहिंसा का नारा लगा, सब हो गए एक संग,
अपने गाँधी थे महान बड़े, सभी को रंग दिया, एक ही रंग।
मिली भुजाऐं सबकी और मिले कदम ,
मिली ना जब तक आजादी, भरा ना किसी ने दम,
आखिर साथ में मिलकर सबने, जल्लादों को हरा ही दिया,
वाह! हमारे वीर जवानों, तुमने क्या कमाल किया ।
उनके किए बलिदानों को शत् -शत् करे नमन ,
तुम ही हो चमकते सितारे , तुम ही हो सूर्य की तपन,
तुम ही ने प्राण देकर, भारत माँ को स्वतंत्र किया,
क्या लिखुं तुम्हारे बारे मे, तुमने ही ये खुला आसमान दिया,
तुमने ही देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर किया।
जितना रंग ना बहता होली में, उतना तुम्हारा खून बहा,
पर तुमने अपने मुख से, जय हिन्द के सिवा कुछ ना कहा,
क्या लिखूं इस देश पे, ये तो सदियों से महान रहा,
मर मिटें इसकी शान पे, यही वीरों का पैगाम रहा।
उनके किए बलिदानों को, हम ना करें व्यर्थ,
तन, मन और धन से देश के लिए पूरे करें कर्तव्य।
उनके किए बलिदानों को शत् शत् करे नमन,
वे ही हैं चमकते सितारे, वे ही हैं सूर्य की तपन।
जय हिंद, जय भारत,
जय जवान, जय किसान।