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Anju Gupta

Tragedy

4.0  

Anju Gupta

Tragedy

अब तलक

अब तलक

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थिरक रहे थे,

अब तलक

यह पाँव धुन पे तेरी

तेरी धुन पर नाचने का

… चलन मैं छोड़ रही हूँ।

दिल छलनी हो जाता है

जब बोलते हो –

“दिन भर क्या करती हो ?”

बन कठपुतली ताने सुनने का

… क्रम मैं तोड़ रही हूँ।

पावों की पायल मेरी

सरगम लगती थी अब तलक

“अब लगने लगी हैं बेड़ियां”

इन बेड़ियों में जकड़े रहने का

… भ्रम मैं तोड़ रही हूँ।



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