अब संवरना है
अब संवरना है
बहुत बह लिए बहुत बिखर लिए
भावनाओं में अपने
अब मुझे संवरना है
तिनका तिनका जो टूटा इधर उधर
उन्हें फिर से जिंदगी में सँजोना है।
सब कुछ खोया दर्द में डूबे
अब बहते अश्कों को थामना है
खुशियां जो ढूंढ रहे थे यहां वहां
उन्हें खुद के अंदर ही ढूंढना है।।
डर डर कर कब तक जिएं
घूट घूट कर क्यों मरते रहें
हाथ पे हाथ रख नही मुझे जीना है
सब खुद ठीक हो इस भ्रम से निकलना है।
इस जिंदगी ने मुझे बहुत रुलाया
जिंदगी से फिर भी कोई गिला नहीं
दुःख और दर्द साथी थे मेरे
शायद योग्य मुझसे उसे कोई मिला नही।।
जिंदगी की हर चाल को भी समझने लगा हूं
दुःख दर्द को खामोशी से सहने लगा हूं
इस खालीपन को यादों से भरकर अपने
हर खुशी को सब में बांटने लगा हूं।
बढ़ते रहना है मुझे चाहे लाख मौसम बदलते रहें
कोशिशों के बावजूद चाहे हार मुझे मिलती रहे
चुप रहकर कर्मों से प्यार अब राह मुझे दिखाएगी
दृढ़ता विश्वास ही होगा जो मेरी जिंदगी संवारेगी।।
