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संजय असवाल

Inspirational

4.7  

संजय असवाल

Inspirational

अब संवरना है

अब संवरना है

1 min
347


बहुत बह लिए बहुत बिखर लिए 

भावनाओं में अपने,

अब मुझे संवरना है

तिनका तिनका जो टूटा इधर उधर

उन्हें फिर से जिंदगी में सँजोना है।


सब कुछ खोया दर्द में डूबे

अब बहते अश्कों को थामना है

खुशियां जो ढूंढ रहे थे यहां वहां 

उन्हें खुद अंदर अपने ही ढूंढना है।।


डर डर कर भयमन कब तक जिएं

घूट घूट कर क्यों हम मरते रहें

हाथ पे हाथ रख यूं कब तक बैठें

खुद सब ठीक हो जाए इसी भ्रम से निकलना है।


इस जिंदगी ने बहुत रुलाया

जिंदगी से फिर भी कोई गिला नहीं

दुःख और दर्द जो साथी थे मेरे

शायद योग्य मुझसे इसे कोई मिला नही।।


जिंदगी की हर चाल को अब समझने लगा हूं मैं

दुःख दर्द को खामोशी से खुद सहने लगा हूं मैं 

इस खालीपन को यादों से भरकर 

होंठ अपने सीने लगा हूं मैं,

अपनी हर खुशी में खुद खुश होकर

जीवन जीने लगा हूं मैं।


बढ़ते रहना है मुझे चाहे लाख मौसम बदलते रहें

कोशिशों के बावजूद चाहे हार मुझे मिलती रहे

चुप रहकर कर्मों से प्यार अब राह मुझे दिखाएगी

दृढ़ता विश्वास ही होगा जो मेरी जिंदगी संवारेगी।।


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