अब नहीं
अब नहीं
मैं अब नहीं देखता सपना
क्यों कि
सबेरे सब गायब हो जाते हैं।
कैसा दुनिया है ये
हो गये पराये
जिसे समझता था अपना ।
कैसा जीवन है ये
इतना हो जाने के बाद
गम पड़ता है सहना ।
मैं अब नहीं देखता सपना ।
मैं अब नहीं देखता सपना
क्यों कि
सबेरे सब गायब हो जाते हैं।
कैसा दुनिया है ये
हो गये पराये
जिसे समझता था अपना ।
कैसा जीवन है ये
इतना हो जाने के बाद
गम पड़ता है सहना ।
मैं अब नहीं देखता सपना ।