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Manish Dwivedi

Drama Inspirational

1.7  

Manish Dwivedi

Drama Inspirational

अब बोल भी दो !

अब बोल भी दो !

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तुम्हारी लम्बी खामोशियाँ अब....

जहाँ के कानों को खल रही हैं .

पुराने मौसम बदलेंगे शायद ..


नई हवाएँ चल रही हैं....

अबके बारिश बरसे जो बादल...

बूँद बूँद तेरी आवाज़ बरसे...

वो पट्टी जो मुँह पे बंधी तुम्हारी...

खोल भी दो...


बोलो मेरी जान....

अब बोल भी दो....

छू न पाई, उन हिमालयों की चोटियों से....

जली कटी सुनी जिनकी खातिर...

उन कच्ची पक्की रोटियों से.....


दूध जिसको पाया नहीं.....

बस पकाया तुमने.....

सब को खिला के, बचा खुचा....

जो खाया तुमने.....

बुला के सब को.....


आज पुराना हिसाब कर दो....

अब उधारी नहीं बिकेंगे ख्वाब मेरे....

कुछ मोल भी दो ....

बोलो मेरी जान …..

अब बोल भी दो......


कौन से रंग जँचते हैं मुझ पर....

अब मत बताना....

समझाना मत...

कितना चेहरा दिखाऊँ...

और कितना छिपाना....


लिबास मेरे मन हैं ..

मन बस तुम्हारा नहीं है....

मुझको धमकाने की और तरकीबें सोचो......

मत कहो मुझ से कि अब …


क्या कहेगा ज़माना.... .

एक मैं और मेरे किरदार कितने …

कितना भारी जी है मेरा....

कभी तोल भी लो .....

बोलो मेरी जान ….

अब बोल भी दो .....


हमारे कायदों की वो किताबें …

जो तुम्हारे फायदों पे लिखी थीं …

कब की जला दी ....

झगड़ के बस में आज...

जो अपनी सीट ले ली....

तुम जले क्यों…


वादा करके संसद में ही...

कितनी सीटें दिला दी....

भीड़ में अब जो कोई...

मुझको बेवजह छुए …

डरती नहीं....

लड़ती मिलूंगी.....

तमाशा देखो ! तुम्हारी मर्ज़ी !


अपनी जंगें मैं लड़ूंगी ....

अधूरी ज़िन्दगी कि ऐसी आदत पड़ी है ..

चाँद भी देते हो दोस्त …

तो अब गोल न दो .....

बोलो मेरी जान …

अब बोल भी दो।।






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