अब भी और तब भी
अब भी और तब भी
मुझे तुम्हारे हाथ की सुबह की चाय
अब भी चाहिए और तब भी ।
मुझे ओट से देख कर जो तुम्हारा दिल धक-धक करता है
मुझे वो अब भी चाहिए और तब भी ।
बीते दिनो में जो मफ़लर मेने तुम्हारे लिए बुना था
उसे तुम्हें पहने हुए अब भी देखना है और तब भी।
हनीमून के सफ़र की झलक को आँखों में
बसा कर इसमें खोना है
अब भी और तब भी।
पहली रसोई में जो घबराहट हुई थी,
उस पल को महसूस करना है
अब भी और तब भी।
पहले बच्चे की किलकारी की
ख़ुशियों की गूँज को याद करना है
अब भी और तब भी।
बच्चों के बड़े होने के सफ़र की
खट्टी-मीठी यादों को ताज़ा रखना है
अब भी और तब भी।
आँसुओ में लिप्त होकर कभी मत टूटना,
मुझे ये उदासी को हवा में उड़ाना है
अब भी और तब भी।
हँसी के पलो को थाम कर रखना ,
क्यूँकि इन पलों की बरसात में भीगना है
अब भी और तब भी।
तुम्हारी जीवन संगिनी का जो ख़िताब है
अब भी चाहिए और तब भी।
#SMBoss

