आज़ादी... जानो की कीमत
आज़ादी... जानो की कीमत
लाखों ने जानें देकर,
आज़ादी को हासिल किया।
फिर आज़ाद भारत को,
अपने ही राज्यों ने शरमिंदा किया।
कभी जला पंजाब,
सालों से कश्मीर सुलगता रहा।
मणिपुर-हरियाणा भी अपनों से लड़ता रहा।
लाखों ने जानें देकर,
आज़ादी को हासिल किया।
क्यों ....आज़ादी की कीमत को,
आज़ादी पाने वाले जान नहीं पायें।
जिस लिए देश को काटा।
उसी बात पर अब भी बंटते आयें।
लाखों ने जानें देकर,
आज़ादी को हासिल किया।
फिर आज़ाद भारत को,
अपने ही राज्यों ने शरमिंदाकिया।
अपनों से लड़ -लड़ तिरंगे को लाल करते आयें।
भारत मां को अपने ही सपूत शर्मसार करते आयें।
मत लड़ो आपस में पहचानो आज़ादी की कीमत।
घाती दुश्मन को फिर ना देनी पड़े जानो की कीमत।
आपसी मतभेदों से देश का कोना -कोना मत सुलगाओ।
'सोने की चिड़िया' भारत को विश्व में स्वर्णित तुम कर जाओ।।