आत्मनिर्भर भारत
आत्मनिर्भर भारत
बदल रहा है विश्व समीकरण, मुझको भी बदलना होगा।
नए युग में अति तीव्र गति से, आगे मुझको बढ़ना होगा।
अर्थव्यवस्था अच्छी जिसकी, अब वही तो शक्तिशाली है।
पराधीनता अभिशाप बड़ा है, आत्मनिर्भर बनना होगा।
मुझे याद है वो बुरा समय जब, चूल्हों पर गेंहू-भात नहीं था।
रोशन हो जो हर घर अपना, बिजली उत्पादन पर्याप्त नहीं था।
छोटी बड़ी अधिकाँश वस्तुएं, बाहर के देशों से आती थीं।
जितनी थी आयात की राशि, उसका आधा निर्यात नहीं था।
बढ़ आया मैं कितना आगे, अब चाँद पर भी ध्वज लहराए।
मेरे गोदाम भरे पड़े हैं जब, खाद्य संकट के बादल छाये।
हर घर बिजली पानी शौचालय, का कार्य निरंतर जारी है।
अस्त्र शस्त्र उत्पादन में भी अब, बड़े बड़े कई कदम उठाए।
आत्मनिर्भर भारत का संकल्प, मेरे बच्चों ने मिल के उठाया।
अपनी प्रतिभा अपने कौशल से, सुन्दर नव निर्माण कराया।
ऊर्जा जैसे कुछ क्षेत्र बचे हैं, जहाँ आत्मनिर्भरता अभी है शेष।
पर मेरा स्वप्न सम्पूर्ण होगा, हृदय में है ये विश्वास सजाया।