आत्मदीपो भव:
आत्मदीपो भव:
अपनी हार से लड़ना है
अपनी निराशा को
आशा में बदलना है ,
नाकामयाबी से सीख लेकर
कामयाबी के पथ पर चलना है ।
अपनी कमज़ोरी को तुम
ताकत का पैमाना दो,
न पत्थर कोई तोड़ सके तुम को
अपने मज़बूती का
तुम ख़ुद को ही नज़राना दो ।
सोनार की चाहत न रख
लोहार का हथौड़ा बन ,
खुद की कठोरता से
समाज को नया आकार दो ।
हज़ार ज़रिया होंगे
तुझे चकाचौंध करने के लिए ,
टूटे तारों का ख़्वाब न देखो
स्वयं ही अपना प्रकाश बनो ।
भटकना मत राह में
क्योंकि
हर राह कहती है तुझसे
आत्मदीपो भव: ,
अंदर का अंधेरा कहता है
आत्मदीपो भवः ,
भ्रमित परछाई कहती है
आत्मदीपो भव: ।