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Tripti Dhawan

Abstract

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Tripti Dhawan

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आत्मबल

आत्मबल

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हां चिराग़ों को जला कर,रोशनी करनी है सबको,

जग नहीं, मन में भी ज्योति आत्मबल की भरनी है सबको


हो अटल ये लक्ष्य और संकल्प भी सम्पूर्ण हो,

बस यही कामना और दृण एक गंतव्य हो,


जो देश सेवा में लगे हैं हाथ प्रतिपल सतत रूप, 

उनके मनोबल को बढ़ाने का उत्साह कभी न अल्प हो,


जीवन की ज्योति जलाने वालों की राह में द्वीप जला देना, 

हैं वो सलामत जबतलक , जीवन तुम्हारा भी है सुरक्षित, 


जागरूक बन कर, मनुष्य होने का भी फ़र्ज़ निभा देना, 

खुद एक चिराग बनकर सबमें ये ज्योति जगा देना, 


कि मनुष्यता की ही खातिर सबको जगाने का आवाह्न हो, 

बस देश हित में पग बढ़ें और काल सर्प का अंत हो।।




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