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Praveen Gola

Tragedy

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Praveen Gola

Tragedy

आत्मा - परमात्मा

आत्मा - परमात्मा

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हम सब हैं हत्यारे,

कहीं ना कहीं,

कोई अपनी आत्मा का,

तो कोई अपने परमात्मा का


आत्मा मार कर जीव मारा,

वो बना भोजन प्यारा,

माता - पिता की सेवा ना कर,

पाप किया फिर ढेर सारा 


भ्रूण हत्या वाले घोर अपराधी,

सारी उम्र रहें दुख के भागी,

जीते जी जो दुष्कर्म अपनाये,

असली हत्यारा वो ही कहलाये


मंदिर - मस्जिद में जब हो मतभेद,

ईश्वर के घर में तब लगती सेंध,

हम सब तब हत्यारे बन जाते,

और धर्म के नाम के गुणगान गाते


इसलिये मत बनो हत्यारे,

कुछ नाम कमाओ,

आत्मा - परमात्मा के बीच की दूरी को,

कम करते जाओ।


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