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Saumya Singh

Inspirational

4  

Saumya Singh

Inspirational

आत्म प्रेरणा

आत्म प्रेरणा

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नहीं डिगो तुमनहीं झुको तुम

नहीं करो तुम जीवन मोह

लहू है जबतक साँस है तब तक

पथ पर चलते जाना हैमानव रूप में जन्म लिया


कुछ करके तुम्हे दिखाना है

मौत से डरना छोड़ो तुमजीवन तो आना जाना है

कम होता है जीवन जब सब कुछ मन का होता है।

मझढार में कैसे लड़ोगे तुम ये तुमपर निर्भर करता है।


हारो तुम या हो असफल आशा की लौ नहीं बुझना है।

कितनी भी लम्बी हो रात

आखिर सूरज को उगना है।

समय को रोक सका है कौन ? 


तुम्हें उससे आगे बढ़ना है

नहीं पूछता उन्हे कोईजो पीछे ही रह जाते हैं

पर चिन्ह उन्ही के बनते हैं

जो सबसे आगे जाते हैं।


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