आसान नहीं मर जाना
आसान नहीं मर जाना
कभी कभी स्थितियाँ
बड़ी गम्भीर होती हैं,
इतनी कि जीवन की जगह
मृत्यु खड़ी होती है,
मृत्यु अर्थात पूरे वजूद में
श्मशान की लपटें होती हैं !
अदृश्य कफ़न में लिपटा शरीर,
बार-बार,
लगातार,
अपनी चिता खुद बनाता है,
लेकिन,
आत्महत्या नहीं कर पाता !
आसान नहीं होता मर जाना,
साँसों में जिम्मेदारियां होती हैं,
जो आखिरी सांस से पहले
पूछ बैठती हैं
"मेरा क्या होगा ?"
अनेकों बार यही सवाल
जीने का कारण बनते हैं,
और यही "कारण"
उन रहस्यों के द्वार खोलते हैं,
जिसे हम "अद्भुत ज्ञान" कहते हैं।
दर्द का मारा ही
सुख के असली मायने बताता है,
बाकी सब झूठ है,
सिर्फ झूठ, बस झूठ !