आसान नहीं है पत्नी बनना
आसान नहीं है पत्नी बनना
आ तो जाती है लांघ कर दहलीज
मेहँदी लगे चूड़ी भरे हाथों,मन में लिए सपने अजीज
फिर इसी दहलीज़ को दुबारा लांघ कर जाने से पहले
डरती है समाज से और ख़ाली हाथ जाते पसीज
आसान नहीं है पत्नी बनना जो बचपन से देखती
आत्मनिर्भर बनने की ख़्वाब हसीन
क्यूँकि लायी तो जाती हैं सर्वगुण सम्पन्न देखकर
पर ज़िंदगी निकलती घर,बच्चों की देखभाल करने में कहीं
फिर न मुँह से कुछ कह पातीं न पीछे छूटे सपने जी पातीं
घुटने लगतीं हैं खुद में ही कहीं जब इज्जत भी नहीं पातीं
क़त्ल कर देतीं ख़्वाहिशों का,पति और सासरे को खुश करने में
ऐसी पत्नियाँ ही,पति को परमेश्वर बना संसार से विदा हो जातीं।