आफताब की आस में
आफताब की आस में
आफताब की आस में,
न बर्बाद करो रैना
उजाले का समंदर सूरज,
तो चांद भी रात का ताज हैं ना।
कभी फूल खुशी से खिले तो,
कांटे की चुभन से रोए नैना
दुःख तो ठहरा दुःख,
सुख देता कहा जनम भर की चैना
आंख में भीड़ करे आंसू,
या होठों पे हो हसी की फुहार
हर सैलाब में जो आबाद रहे,
चेहरे पे वह सुकून जरूरी हैं यार
मजा बेचैनी का भी लो,
हर वक्त न करो चैन की आस
हर वक्त खुशी की चाह में,
यूँ उदासी को न करो उदास।