आप बीती
आप बीती
बहरे- मुतकारिब मुसमन सालिम
अर्कान= फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
तक़्तीअ= 122, 122, 122, 122
रदीफ़ : गयी है
काफिया – आई (स्वर)
वफ़ा मैंने की जो भुलाई गयी है
ज़फ़ा की कहानी सुनाई गयी है
सुनाता रहा आप बीती सभी को
मुहब्बत फ़साना बनाई गयी है
करवटें बदलता बदन ये तुम्हारा
तपन ये जलाकर बुझाई गयी है
गवारा नहीं थी मुहब्बत हमीं को
ये कह के मुहब्बत सताई गयी है
भुलाना नहीं तुम अमानत हमारी
ये चाहत हुलुम से सजाई गयी है
गज़ीदा हुआ मैकदे में वो जाकर
लगा प्यास उसको पिलाई गयी है
नज़ाकत ग़ज़ल में न लाना निधी तुम
ये कमसिन बहुत ही सताई गयी है
निधि
गज़ीदा= डंक लग हुआ, काट खाया हुआ