आओ घमंड भाव का परित्याग करें
आओ घमंड भाव का परित्याग करें
जीवन का है यही सार ,
सादा जीवन उच्च विचार।
घृणा भाव का परित्याग करें ,
इनसे पाये नरक का द्वार।
जाति -पाति का भेद मिटा दे,
सबसे प्रीत ही करना ।
घट-घट में है राम बिराजे ,
परोपकारी ही बनना।
धन-दौलत के लालच में ,
मत बनो अत्याचारी।
राजा हरिश्चंद्र ने राज्य त्याग ,
मरघट की की थी रखवाली।
घृणा भाव का परित्याग करो ,
ये इतिहास भी याद करो ।
ये देश हम सबका है ,
हर प्राणी का आदर करो ।
साहित्य कार और कलमकार,
संगठित होकर प्रचार करें।
घृणा और द्वेष भाव से ,
अपने देश को मुक्त करें।
हिन्दु,मुस्लिम,सिक्ख ,ईसाई ,
सब मिल बोले भाई -भाई ।
सबका खून भी लाल है ,
सब मिल बोले जय भारत माई।
पेड़-पौधे,सूरज, नदिया ,
बिन मांगे सब देते हैं।
धन-दौलत का घमंड न करो ,
खाली हाथ ही जाते हैं।
परोपकार करो दीनों पर ,
सब कुछ यही रह जाना है।
माटी से ये बना शरीर,
माटी में मिल जाना है।
इसलिए कहा है सबसे,
घमंड भाव का परित्याग करो।
सदभावना रखो जीवन में ,
परोपकार ही सदा करो ।
