आँसू
आँसू
ये अश्क भी हमसे अक्सर दगा कर जाते हैं,
जब भी छुपाना चाहा वह निकल के आते हैं,
गम में आकर पलकों को भिगोते हैं अक्सर,
खुशी के अतिरेक में भी वो छलक आते हैं।
मनो बोझ जो दिल पर पड़ा है अक्सर ही,
आँखों के रास्ते बहकर वो कम कर जाते हैं।
जमाने की रुसवाइयों जो झेला है हमने ही,
ये आँखों को भिगोकर उसे कम कर जाते हैं।
भावनाओं के अतिरेक में बहते हैं ये आँसू,
वेदना दिल की सदा ही जतला जाते हैं ये,
कभी विरह की पीड़ा में बहते हैं ये आँसू,
पराजय में भी अक्सर ये छलक जाते हैं।
आँसू बड़े बेशकीमती अनमोल होते हैं सदा,
जीवन के उबड़ खाबड़ रास्तों को दिखाते हैं।
बेपनाह मुहब्बत हो या बेपनाह दर्द हो सदा
आँखों से अश्क एक नई कहानी बनाते हैं।
