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Sunita Bahl

Romance

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Sunita Bahl

Romance

"आम इंसान भी है खास"

"आम इंसान भी है खास"

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सड़क पर चलता एक आम इंसान ,

लिए घूमता है अपनी एक खास पहचान।


किसी की आंखों का है वह नूर ,

किसी के लिए है वह, उसका गरूर। 


किसी के जीवन की वह है आस,

किसी के सर का है वह ,भी ताज।


 कोई कर रहा उसका भी बेसब्री से इंतजार ,

वह भी है ,किसी अपने को मिलने को बेकरार।


 कोई बैठा होगा लगाए दरवाजे पर टकटकी,

 शायद कोई उम्मीद होगी आज जगी ।


कोई सुनाना चाहता होगा उसे अपने दिल की बात ,

कि तुमसे मैं हूं ,मुझसे तुम हो,यही हर खुशी का राज।


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