"आम इंसान भी है खास"
"आम इंसान भी है खास"
सड़क पर चलता एक आम इंसान ,
लिए घूमता है अपनी एक खास पहचान।
किसी की आंखों का है वह नूर ,
किसी के लिए है वह, उसका गरूर।
किसी के जीवन की वह है आस,
किसी के सर का है वह ,भी ताज।
कोई कर रहा उसका भी बेसब्री से इंतजार ,
वह भी है ,किसी अपने को मिलने को बेकरार।
कोई बैठा होगा लगाए दरवाजे पर टकटकी,
शायद कोई उम्मीद होगी आज जगी ।
कोई सुनाना चाहता होगा उसे अपने दिल की बात ,
कि तुमसे मैं हूं ,मुझसे तुम हो,यही हर खुशी का राज।