भारत गाथा
भारत गाथा
मेरे देश पर नजर
रखने वालों सुनो,
मैं आज हूँ
तुम्हें समझाती,
सैनिक है इस देश का,
हर एक भारतवासी
आत्मनिर्भर होने में हैं
हम अब निपुण,
भारत की रक्षा करने का,
हर नागरिक में है गुण।
शक्ले हैं, हमारी
चाहे भोली भाली,
पर देश प्रेम में हमारी
आत्मा है मतवाली।
फोड़ कर रख देंगे,
देश पर उठेगी जो आँख,
देश की प्रभुत्ता पर,
आने ना देंगे आँच।
भगत सिंह, राजगुरु,
सुखदेव जैसे
हम भी हैं
आग के शोले,
कोई भी शत्रु मेरी
धरती पर आए,
तो बरसेंगे तोप के गोले।
भारत की शक्ति का
पूरा विश्व है सानी,
भारत की महत्वता,
सदियों से हर
देश ने है जानी।
अहिंसा हमारा अभी है नारा,
नहीं करते खुद किसी पर वार,
पर काट कर रख देंगे,
अगर किसी ने किया प्रहार।
भारत की गाथा,
सुनाती है भारत की हर प्राचीर,
प्रचंड रूप धर लें, जरूरत पड़ने पर
यहां के रांझा हो या हीर।
वसुधैव कुटुंबकम,
है हमारा नारा,
नहीं समझो इसे कमजोरी,
यह संस्कार है हमारा।
एक बात समझ लो
देश के दुश्मनों,
नहीं निभाओगे
जो हमारा साथ,
तो कोई नहीं विश्व में होगा
तुम्हारा सहारा है हमारा विश्वास।
