पौधा भी कुछ कहता है
पौधा भी कुछ कहता है
आज मैंने फिर एक पौधा लगाया,
पर मुझे आज एक अलग ही मजा आया,
पत्तों ने किया जैसे हिल कर अभिनन्दन,
याद दिला रहें हों, जो है हमारा अटूट बंधन।
कुछ दिन तो, पौधा जैसे कहे,
रखो मेरा ख्याल,
फिर सारी उम्र रखूंगा, मैं तुम्हें संभाल,
दूंगा मै तुम्हें आक्सीजन भरपूर,
मेरी छाया भी फैलेगी दूर-दूर।
नमी बचा कर रखूंगा,
तापमान भी होगा कम,
फल, फूल,लकड़ी सब ले लेना,
नहीं निकलेगा मेरा दम।
जो देने को तत्पर है,
सब कुछ अपना,
उस पौधे को देख मेरे मन ने
किया एक सवाल,
ये कैसी नासमझी इंसान की,
उसको ही ना रख पाया संभाल।