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शिवांश पाराशर "राही"

Inspirational

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शिवांश पाराशर "राही"

Inspirational

"आम आदमी"

"आम आदमी"

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तुम आम नहीं, तुम खास हो,

अपने आप में एक,अटल विश्वास हो।


अरे कौन कहता है कि तुम लाचार हो,

तुम तो अपने आप में ही एक प्रबल विचार हो।


चाहे छांव हो ,चाहे गर्म धूप 

चाहे हो मौसम का कोई भी रूप, 

अपने परिवार के पालन पोषण के लिए,

तुम सहज ही सहते हो मौसम के अनेकों रूप।


कितनी आलोकिक है तुम्हारी वेशभूषा,

जिसे देख अचंभित हो रही है ये उषा,

तुम्हारी वेशभूषा सबसे अलग है,

लगता है जिसे देख देवता भी मंगन है।


तू जब धूप में काम करता है,

तब आकाश से सूरज कहता है,

तु सच में अपने दृढ़ विश्वास पर अडिग है,

तू सच में लंबी राह का पथिक है।


तुम आम नहीं,तुम खास हो,

अपने आप में एक,अटल विश्वास हो।।



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