आलोचक
आलोचक
आलोचक से मत घबराना,
मौका देकर भूल सुधार कराना।
कभी ना इनको दूर भगाएं,
यह तो हमारी कमियां सदा बताएं।
सकारात्मक पहलू अपनाना
रोते हुए को सदा हंसाना।
करना भूल तो मान लेना,
माफी मांग आगे बढ़ जाना।
निंदक ही हताशा दूर हटाएं,
सफल जीवन की कुंजी दे जाएं।
आलोचक की ध्यान से सुनना,
फिर जीवन में उसे गुनना।
गलतियों के दुशाले मत बुनना,
दूसरों की राहों से कांटे चुनना।
कम बोलिए और ज्यादा सुनिए,
अपने में मस्त मगन रहिए।
सुखी जीवन का यही सार है,
निंदक की जो सुने तो बेड़ा पार है।