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सुरशक्ति गुप्ता

Abstract

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सुरशक्ति गुप्ता

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आकर्षण

आकर्षण

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किसी के प्रति आकर्षण इतना भी न हो कि

उसके दोष ही न देख पाएँ

और.......

नफरत भी इतनी न करें कि

उसके गुण भी न देख पाएँ......।


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