आखिर कहाँ नहीं तुम हो
आखिर कहाँ नहीं तुम हो
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आखिर कहाँ नहीं तुम हो
देखूं जहाँ तुम ही तुम हो
भीड़ भाड़ में शांत गलियों मे
नुक्कड़ो मे चौबारो मे
आखिर कहाँ नहीं तुम हो..!!!
मेरी मुस्कुराहटों मे मेरी खुशियों मे
खामोशियों मे सन्नाटों मे
अनकहे लफ्जों और अल्फाजों मे
कश्तियों मे किनारों मे
लहरों और पतवारों मे
आखिर कहाँ नहीं तुम हो..!!
बारिश की हर इक बूंद मे
मेरी प्यास मे हर आस मे
मेरे हर इक अहसास मे
बसंत मे बहार मे, पतझड़ी संसार मे
आखिर कहाँ नहीं तुम हो..!!!
मेरे साये मे मेरे अक्स मे
आइनो मे पैमानो मे
फसानो और अफसानो मे
मेरे शहर के हर मयखानो मे
आखिर कहाँ नहीं तुम हो..!!
मेरी लोच मे मेरी सोच मे दिल के स्लीपर कोच मे
नज़र मे नजारों मे हजारो मे नजारों मे
मेरे रंग मे तेरे संग मे
चढी मुझपर तेरी भंग मे
आखिर कहाँ नहीं तुम हो..!!