आजादी तब और अब
आजादी तब और अब


आजाद हुए एक साल और हो गया
मेरा वो भारत पता नहीं कहाँ खो गया
समय का चक्कर बहुत कुछ खा गया
तब और अब में बहुत फर्क आ गया
जिस आजादी के लिए भगत सिंह फांसी चढ़ गया
उस आजादी का ख्वाब कहीं पीछे ही लद गया
उसने तो भाईयों के प्यार के लिए बलिदान दिया था
उधम सिंह ने भी भाइयों के बदले के लिए
डायर का कत्ल किया था
उन सबने तो मां बहन की इज्जत की
रक्षा के लिए जान की बाजी लगाई थी
भारत मां की आजादी के लिए अपनी जान गंवाई थी
चंद्रशेखर आजाद भी जीते जी ना अंग्रेज़ों के हाथ आया था
सुभाष चंद्र बोस ने भी सब भाईयों को स
ाथ मिलाया था
और पता नहीं कितने ही गुमनाम इस
भारत मां के लिए शहीद हो गए
कितने ही लाल ऐसे ही देश की
रक्षा के लिए मौत के आगोश में सो गए
उन सबका सपना ऐसे भारत का था जिसमें सब एक हों
मां बहन की सब इज्जत करें सबके विचार नेक हों
आपस में सब भाईयों का प्यार हो
सबसे सबका नेक व्यवहार हो
लेकिन वो भारत कहीं पीछे ही खो गया
आपस में भाईयों का बैर हो गया
मां बहन बेटी की इज्जत को आज हर कदम पर खतरा है
अपना ऐसा भारत देखकर रो रहा शहीदों का कतरा कतरा है
"मनीष" अब अपने देश को बचाना है
भगत सिंह के सपनों का भारत बनाना है।