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Arun Kumar Prasad

Inspirational

4  

Arun Kumar Prasad

Inspirational

आजादी का पुनरागमन

आजादी का पुनरागमन

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आज हर रस्सी तुड़ा फिर लफ्ज सारे आ गये।

मन की हर अभिव्यक्ति फिर से पँख सारे पा गये।

ताख से उतरी हमारा हाथ धर फिर चल पड़ी।

आज आजादी पुन: हर पंथ, रास्ते पा गये।

अब हवाखोरी को फिर से लोग सागर जायेंगे।

बंद सारे तोड़, बाड़े छोड़, सरहद खा गये।

शाप से अभिशप्त युग ने एक करवट फिर लिया।

हर गली के मोड़ चल सड़कों पे फिर से आ गये।

जो युवा सहमे से थे दुबके घरों के कमरे में ।

कापियाँ ले ले तस्वीरे आजादी बनाने आ गये।

चन्द टुकड़ा धूप का भी हो गया था जो मुहाल।

फैलकर आँगन समूचा हर सड़क चमका गये।

सीपीयों के कब्र में हर इच्छा दफन होने को थे।

आज फिर हाथों में जैसे फूल बन वे आ गये।

हाय!आजादी गुलामी के अँधेरे जज्ब थे करने लगे।

फिर चिरागों की चमक देखो यहाँ वे पा गये।

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உள்நுழை

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