आज़ादी है
आज़ादी है
भारत में देखिये तो सभी को आज़ादी है,
इसीलिए बाड़ा तोड़ बढ़ रही आबादी है!
देखिये यहाँ पर जिस चीज़ की है मनाही,
उसे करने में यहाँ कोई न करता कोताही!
जहाँ निषिद्ध है मूत्र विसर्जन दीवारों पर,
वहाँ कृत्य करना दर्शाता इरादे फौलादी है!
भारतवर्ष को तोडना है, ये चिल्ला सकते हैं,
दुश्मनों के सुर से आप सुर मिला सकते हैं!
आप सार्वकालिक दार्शनिकों में गिने जाएंगे,
अगर आपकी चाह भारत देश की बर्बादी है!
हमें देश को प्यार करना है, सरकार को नहीं,
हमें कर्त्तव्य ऊपर रखना है, अधिकार को नहीं!
सभी बातों का लब्बोलुआब इतना ही है दोस्तों,
भारतीय होना अपने आप में ही एक उपाधि है!
ये तिरंगा शान है हमारी ये सदा फहराता रहेगा,
ये लेखक तिरंगे की शान को यूँ ही गाता रहेगा!
फ़िरकापरस्ती, जाति-पाती और भाषा से जुडी,
हमें दूर करनी देश में फैली हुई सारी व्याधि है!