आज़ादहिन्द
आज़ादहिन्द
जो रुका नहीं कभी झुका नहीं,
उस हिन्द राष्ट्र के हम सब वासी हैं।।
जिस देश में बेहती गंगा की पावन धारा है,
जहां देश प्रेम हर कण कण में बसता है,
जिस देश ने अंग्रेजी हुकूमत को ललकारा था,
वो वतन आज़ाद हिन्द हमारा था,।।
जो रुका नहीं कभी झुका नहीं,
उस हिन्द राष्ट्र के हम सब वासी हैं।।
विविधता में भी यहां एक अटूट एकता है,
हज़ारों है धर्म अनेकों बोलियां है,
हर ओर बिखरी है संस्कृति और सभ्यता है,
यहां पग पग पर एक नए स्वरूप में कला है,।।
जो रुका नहीं कभी झुका नहीं,
उस हिन्द राष्ट्र के हम सब वासी हैं।।
इतिहास के पन्नो में अमर अनेकों वीरों की दास्तान है,
सुनहरी सिहायी से लिखी गई आज़ादी के युद्ध की गाथा है,
हस्ते हस्ते उन वीरों ने अपने खून का कतरा कतरा भारत माता के नाम कर दिया,
गुलाम भारत को आज़ाद हिन्द का ताज़ पहना दिया,।।
जो रुका नहीं कभी झुका नहीं,
उस हिन्द राष्ट्र के हम सब वासी हैं।।
आओ मिलकर उन वीरों की शहादत को नमन करें,
वतन के प्रति अपनी हर जिम्मेदारी को समझे,
आओ हिंदुस्तान का एक नया कल लिख दे,
नई बुलंदियों नए मुकाम पर आज़ाद हिंद का परचम फहरा दें।।
