आज उनसे मिलना है
आज उनसे मिलना है
ख़ुदा से दुआ की थी,
आज तो मुझे उनसे मिलना है,
ख़ुदा ने भी इंकार कर दिया,
बोला फिर से नहीं, उसने औरों से करी तेरी तुलना है।
सारा दिन उसका अता-पता नहीं,
बस रात में फोन एक आता है,
उसका अकेलापन दूर करने का खिलौना हूँ मैं,
ना जाने कैसे इसे प्यार बतलाता है।
दर्द तो बहुत है,
मगर कितनी बार मरहम-पट्टी कराएँ?
अब आदत नहीं रही,
उन्हें फोन करके हम आँसू बहाएँ।
