आज फिर तू याद आई है
आज फिर तू याद आई है
यह प्यारा समां, खुला आसमां... मौसम सुहाना...
सब कुछ जैसा का वैसा है... बस तेरी ही कमी है..!
जाने क्यूँ? ऐसा लगता तुम यहीं कंही छिपी हुई है...
आज फिर तू याद आई है..!
यह एहसास जरुरी हैं मुझे... ज़िंदा रहने के लिये...
तू हर धड़कन में... सांस और नस-नस में समाई है!
कैसे समझाऊं पगले दिल को? गुज़रे पल वापस आते नहीं...
आज फिर तू याद आई है..!
बड़ी मुश्किल से समझाया था मैंने मेरे दिल को ...
सपने सपने होते हैं... जरुरी नहीं की वो पुरे हो..!
कुछ सपने अधुरे और कुछ रिश्ते टूटने को ही होते हैं...
आज फिर तू याद आई है..!
लाख कोशिशों के बाद भी तुझे न भूल पाता हूँ...
जितना भुलना चाहु तू उतनी ही याद आती है!
यह कैसा रिश्ता है अजब सी उलझन उभर कर आई है...
आज फिर तू याद आई है..!
तुम ही तो हो मेरी पहली प्रीत... मनमीत...
यह कौन सी जीत तेरी? अजब सी जादुगरी?
मैं अक्सर रोता हूँ अकेले में... कौन सी दुश्मनी निभाई है...
आज फिर तू याद आई है..!