आज की नारी
आज की नारी
कुछ थकी हूँ, हारी नहीं, मैं आज की नारी हूँ,
अबला नहीं, कमजोर नहीं, मैं तो बलधारी हूँ।
इस पुरूष प्रधान देश में मैंने अपनी सफलता का परचम लहराया है,
जो काम पुरुष करते हैं, वह काम भी कर दिखलाया है।
राहों में रूकावटें है मेरे, लाखों जिम्मेदारी है,
साहस, त्याग, दया, ममता की मैं प्रतीक अवतारी हूँ,
समय पडे़ तो लक्ष्मी, सीता, समय पडे़ तो दुर्गा, काली हूँ,
कभी चिंगारी तो कभी शान्त सी ममता का रूप, मैं आज की नारी हूँ।
बीत गया वह समय जब घुट- घुट कर मैं जीती थी,
कुछ न कहती, सबकुछ सहती, छुप छुप आंसू पी लेती थी,
आज मैं सजग, सचेत, सबल, समर्थ, आज की नारी हूँ।
रूढ़िवादी सोच के बंधन तोड़ मुझे आगे बढ़ना है,
आंधी हो, तूफान घिरा हो, पर राह में कभी न रूकना है।
शिक्षा ही मेरी सफलता की कुंजी है, मैं स्वाभिमान से भरी अपने अंदर रखती खुद्दारी हूँ,
अबला नहीं, कमजोर नहीं, मैं आज की नारी हूँ।