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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"आदिवासी"

"आदिवासी"

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तुम वीर हो,तुम रणधीर हो

राणा पुंजा की शमशीर हो.


गुरु गोविंद ने दिया है,ज्ञान

मानगढ का अक्षय क्षीर हो

तुम स्वामिभक्त की तीर हो

लोग कहते तुम्हे आदिवासी,

मनु सभ्यता की लकीर हो

तुम वीर हो,तुम रणधीर हो

राणा पुंजा की शमशीर हो.


सरल-सौम्य स्वभाव,तुम्हारा

शबरी जग जाने नाम तुम्हारा,

भक्ति की अखंड समीर हो

एकलव्य की ऐसी तूणीर हो

फ़लक पर बनाते कुटीर हो

तुम लक्ष्य पूरा करने वाले,

यहां अकेले ऐसे शूरवीर हो

मूर्ति से लेते शिक्षा,वो गीत हो

गुरुभक्ति की अक्षय पीर हो

तुम वीर हो,तुम रणधीर हो

राणा पुंजा की शमशीर हो.


प्रकृति मां से रखते प्रीत हो

प्रकृति के संरक्षक फकीर हो

आज भी साफ, निर्मल मन,

छल-कपट से दूर कुलीन हो

इस दिखावटी दुनिया से,तुम

आदिवासी कोसो दूर तीर हो

तुम वीर हो,तुम रणधीर हो

राणा पुंजा की शमशीर हो


आज भी वैज्ञानिक युग मे,

तुम प्राकृतिक जंजीर हो

जंगल समाप्त क्या हुए

आदिवासी भी समाप्त हुए

आदिवासियो को बचाओ,

न तो तुम खुद डुबोते नीर हो

तुम वीर हो,तुम रणधीर हो

राणा पुंजा की शमशीर हो


प्रकृति मां के प्रति एकमात्र,

आदिवासी तुम ही गम्भीर हो

आप आदिवासी हम सबकी,

प्राणवायु ऑक्सीजन लीर हो

आदिवासी बचाना जरूरी है

न तो जंगलों से होगी दूरी है

जंगल के पेड़-पौधे न रहेंगे

कैसे होगी मनु-सभ्यता पूरी है?

तुम जंगलों की जागीर हो

हरियाली वृद्धक समीर हो

तुम वीर हो,तुम रणधीर हो

राणा पुंजा की शमशीर हो


आदिवासी अमूल्य हीर हो

खुदा के बनाये नेक नीर हो.


 



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