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Renuka Chugh Middha

Abstract

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Renuka Chugh Middha

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3 - उड़ान

3 - उड़ान

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एक बक्सा है सपनों का

अधूरे सपनों का

वो सपने जो मुझे सोने नहीं देते।   


सपने मेरी उड़ान के मेरी पहचान के

आज फिर बंद कर दिया मैंने 

उन सपनों को एक बक्से में

और बक्सा फेंक दिया घर के 

ऐसे कोने में जहाँ मेरा

जाना कम ही होता था


लेकिन बड़े ढीठ सपने हैं

गाहे बगाहे खींच लेते हैं

मुझे अपनी ओर 

और मैं खोल के बैठ

जाती वही बक्सा


कुछ अपनी कह के, 

कुछ सपनों की सुन के

फिर बंद कर देती

और हर बार थोड़ा और कस के

कहीं खुल ना जाए फिर दोबारा।


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