२०१९ का सच
२०१९ का सच
आज कल बस
धूप का प्रचलन है,
बारिश और हवाएं
तो रूठे हैं।
ये सब कसूर है,
ग्लौबल वार्मिंग का,
बेचारा इंसान तो शराफत से
तरक्की कर रहा है।
आज कल बस
धूप का प्रचलन है,
बारिश और हवाएं
तो रूठे हैं।
ये सब कसूर है,
ग्लौबल वार्मिंग का,
बेचारा इंसान तो शराफत से
तरक्की कर रहा है।