जिंदगी
जिंदगी
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क्या अजब रास्ते हैं जिंदगी के,
शुरु करना कभी बस में नहीं होता
और खत्म करने का जिगर नहीं होता।
जीतना भी दौड़ले राही,
तू गिरेगा, कई बार ठोकर खायेगा,
फिर भी रुकने का आसरा नहीं पाएगा,
क्योंकि जो रुक जाए वो जिंदगी नहीं।
हमसफ़र बहुत मिलेंगे,
हाथ थामकर साथ चलने को,
हमराही सिर्फ एक ही होगा,
जो जीवन के इस सफ़र को
बेहतर बनाएगा।
ए मंज़िल तुझे पाने की ललक में,
चलें जा रहें हैं, उम्र गुज़र रही हैं,
सपने बदल रहे हैं, रिश्ते बिछुड़े हैं,
काश हम ये समझ पाते,
ये तेरी साजिश थी,
जो तुझे पाने पर हमने जाना,
कि तू मंजिल नहीं,
असल में जिंदगी है,
जिसे जीना भूल गए हम।