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सतीश मापतपुरी

Classics

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सतीश मापतपुरी

Classics

2 जून की रोटी

2 जून की रोटी

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रोटी देखन में बस छोटी।

कितनों ने इसको पाने में,

नीयत भी कर ली खोटी।

रोटी देखन में बस छोटी।


जब तक पेट रहेगा तन में।

रोटी की धुन रहेगी मन में।

अच्छा होता पेट के बदले, 

दो - दो  पीठ  ही  होती।

रोटी देखन में बस छोटी।


इन्सां  का भगवान  है रोटी।

दीन - ईमान विधान है रोटी।

इसकी नींद से जागे दुनिया, 

इसको  लेकर   सोती।

रोटी देखन में बस छोटी।


कोई  मिहनत  करके पाता।

कोई इसको ठग कर लाता।

कोई पाए बेच के अस्मत, 

बहन लगे या बेटी।

रोटी देखन में बस छोटी।


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