1 दिन पहली बार
1 दिन पहली बार
एक दिन पहली बार
लेने को अचार
गई मैं बाजार
राह में मिले अंकल सुब्रमण्यम
बोले महंगाई ने कर दिया है
नाक में दम दुकानदार है बड़े समझदार
सामान बेचते हैं बेकार तराजू मारने में हीरो
अपने आगे सबको समझते हैं जीरो
वैसे तो लगते हैं उपभोक्ता संरक्षण के नारे
कहां है वह नेता सारे काश अबकी बार चुनाव में वो सब हारे
मैंंने कहा अच्छा अंकल मुझे घर जाना है
घर जाकर खाना भी तो पकाना है
यह कहकर में आगे चली पहुंची थी
अभी दूसरी गली
तभी मोना अंटी दी दिखाई
उन्होंने अगले ही पल आवाज लगाई
बेटे बेटे सुनो हमारे लिए ले आना ईनो
घर में सब की तबीयत है खराब
अंकल बोले पैसे दो जनाब
बोली नहीं है खुल्ले
तभी सुनाई दिया अरे मंगा लो ना रसगुल्ले
मैंने कहा आंटी मुझे जल्दी घर जाना है
घर जाकर खाना भी तो पकाना है
अभी मोड़ पर ही पहुंची थी कि
अचानक होने को थी दुर्घटना
अगर सुनाई ना देता मुझे शब्द पीछे हटना
मैंने जल्दी की सड़क पार
अब मैं पहुंच चुकी थी बाजार
घुटन भरी तंग थी गलियां
सबसे सस्ती बिक रही थी फलियां
मैं पहुंची जॉन जनरल स्टोर
बंद हुआ था उसका डोर लगा हुआ था लॉक
तभी हुआ एक जबरदस्त विस्फोट मारे गए कई लोग
मुझे इस हड़बड़ी में आई कुछ चोट खरोंच
डर के मारे था मेरा बुरा हाल
देखा नहीं था कभी एसा धमाल
मैंने सोचा कौन है यह लोग
जो करते हैं ऐसे विस्फोट
बचपन से सभी ने यह बात बताई
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब मिलकर है भाई -भाई
फिर कौन है जिन्होंने यह जंग फैलाई
अब कभी भी मैं जाती हूं बाजार तो आता है याद की
" एक दिन पहली बार"
लेने को अचार गई थी मैं बाजार।